अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है, कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन॥
संबंधित विषय
विनम्रता
अर्थात सारी दीनता और...
पूजा करना
हे यहोवा, तू मेरा...
ताकत
मत डर, क्योंकि मैं...
आत्माओं
प्रभु तो आत्मा है...
विचार
हे ईश्वर, मुझे जांच...
गिरजाघर
और प्रेम, और भले...