परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने।
संबंधित विषय
विनम्रता
अर्थात सारी दीनता और...
सेवित
सो हे मेरे प्रिय...
पड़ोसी
और दूसरी यह है...
गुलामी
मसीह ने स्वतंत्रता के...
प्यार
प्रेम धीरजवन्त है, और...
आशा
क्योंकि यहोवा की यह...