सो हे दोष लगाने वाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरुत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है।
जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी।