
हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें॥
संबंधित विषय
पाप
क्या तुम नहीं जानते...
बिना निंदा
वह जो खराई से...
विधवाओं
उन विधवाओं का जो...
अनाथों
किसी विधवा वा अनाथ...
दुनिया
तुम न तो संसार...
पड़ोसी
और दूसरी यह है...