जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं॥

संबंधित विषय
पाप
क्या तुम नहीं जानते...
धर्म
जो धर्म और कृपा...
मध्यस्थ
क्योंकि परमेश्वर एक ही...
प्यार
प्रेम धीरजवन्त है, और...
आशा
क्योंकि यहोवा की यह...
श्रद्धा
इसलिये मैं तुम से...