- खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना, न तो विधवा पर अन्धेर करना, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना।
संबंधित विषय
बुराई
बुराई से न हारो...
धर्म
जो धर्म और कृपा...
पड़ोसी
और दूसरी यह है...
नम्रता
तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों...
करुणा
और एक दूसरे पर...
विधवाओं
उन विधवाओं का जो...