परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं॥
संबंधित विषय
आत्म - संयम
जिसकी आत्मा वश में...
प्रलय
सो हे दोष लगाने...
शरीर
क्या तुम नहीं जानते...
प्यार
प्रेम धीरजवन्त है, और...
आशा
क्योंकि यहोवा की यह...
श्रद्धा
इसलिये मैं तुम से...