सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं?

संबंधित विषय
पाप
क्या तुम नहीं जानते...
सुंदर
इसलिये आओ, हम अनुग्रह...
जिंदगी
यहोवा सारी विपत्ति से...
प्यार
प्रेम धीरजवन्त है, और...
आशा
क्योंकि यहोवा की यह...
श्रद्धा
इसलिये मैं तुम से...