यह जानकर कि व्यवस्था धर्मी जन के लिये नहीं, पर अधमिर्यों, निरंकुशों, भक्तिहीनों, पापीयों, अपवित्रों और अशुद्धों, मां-बाप के घात करने वालों, हत्यारों। व्याभिचारियों, पुरूषगामियों, मनुष्य के बेचने वालों, झूठों, और झूठी शपथ खाने वालों, और इन को छोड़ खरे उपदेश के सब विरोधियों के लिये ठहराई गई है। यही परमधन्य परमेश्वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपा गया है॥
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