- सो हे दोष लगाने वाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरुत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है।
- वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
- जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्हें वह अनन्त जीवन देगा।
- इसलिये कि जिन्हों ने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नाश भी होंगे, और जिन्हों ने व्यवस्था पाकर पाप किया, उन का दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा।
संबंधित विषय
धर्म
जो धर्म और कृपा...
प्रलय
सो हे दोष लगाने...
पड़ोसी
और दूसरी यह है...
इनाम
और जो कुछ तुम...
आज्ञाकारिता
यीशु ने उस को...
मांगना
तुम मुझे ढूंढ़ोगे और...