- उत्पत्ति 1
- उत्पत्ति 2
- उत्पत्ति 3
- उत्पत्ति 4
- उत्पत्ति 5
- उत्पत्ति 6
- उत्पत्ति 7
- उत्पत्ति 8
- उत्पत्ति 9
- उत्पत्ति 10
- उत्पत्ति 11
- उत्पत्ति 12
- उत्पत्ति 13
- उत्पत्ति 14
- उत्पत्ति 15
- उत्पत्ति 16
- उत्पत्ति 17
- उत्पत्ति 18
- उत्पत्ति 19
- उत्पत्ति 20
- उत्पत्ति 21
- उत्पत्ति 22
- उत्पत्ति 23
- उत्पत्ति 24
- उत्पत्ति 25
- उत्पत्ति 26
- उत्पत्ति 27
- उत्पत्ति 28
- उत्पत्ति 29
- उत्पत्ति 30
- उत्पत्ति 31
- उत्पत्ति 32
- उत्पत्ति 33
- उत्पत्ति 34
- उत्पत्ति 35
- उत्पत्ति 36
- उत्पत्ति 37
- उत्पत्ति 38
- उत्पत्ति 39
- उत्पत्ति 40
- उत्पत्ति 41
- उत्पत्ति 42
- उत्पत्ति 43
- उत्पत्ति 44
- उत्पत्ति 45
- उत्पत्ति 46
- उत्पत्ति 47
- उत्पत्ति 48
- उत्पत्ति 49
- उत्पत्ति 50
- आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।
- और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि उस में उसने अपनी सृष्टि की रचना के सारे काम से विश्राम लिया।
- फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए।
- तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
- तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।
- कि मैं ने बादल में अपना धनुष रखा है वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिन्ह होगा।
- और मैं तुम्हारे साथ अपनी इस वाचा को पूरा करूंगा; कि सब प्राणी फिर जलप्रलय से नाश न होंगे: और पृथ्वी के नाश करने के लिये फिर जलप्रलय न होगा।
- और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है। इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे।
- फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं।
- फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
संबंधित विषय
सृष्टि
आदि में परमेश्वर ने...
जिंदगी
यहोवा सारी विपत्ति से...
दुआ
यहोवा तुझे आशीष दे...
भगवान
तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे...
विवाह
जिस ने स्त्री ब्याह...
नियम
इसलिये जान रख कि...