- सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेरश्वर की ओर मन लगाए हूं; मेरा उद्धार उसी से होता है।
- सचमुच वही, मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; मैं बहुत न डिगूंगा॥
- हे मेरे मन, परमेश्वर के साम्हने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है।
- सचमुच वही मेरी चट्टान, और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; इसलिये मैं न डिगूंगा।
- मेरा उद्धार और मेरी महिमा का आधार परमेश्वर है; मेरी दृढ़ चट्टान, और मेरा शरणस्थान परमेश्वर है।
- और हे प्रभु, करूणा भी तेरी है। क्योंकि तू एक एक जन को उसके काम के अनुसार फल देता है॥
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