अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर की दोहाई दी। और उसने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी॥
यदि तुम इसे न सुनो, और मन लगा कर मेरे नाम का आदर न करो, तो सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि मैं तुम को शाप दूंगा, और जो वस्तुएं मेरी आशीष से तुम्हें मिलीं हैं, उन पर मेरा शाप पड़ेगा, वरन तुम जो मन नहीं लगाते हो इस कारण मेरा शाप उन पर पड़ चुका है।