बुधवार, 30 अप्रैल 2014
जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।मंगलवार, 29 अप्रैल 2014
यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो।सोमवार, 28 अप्रैल 2014
और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उस को सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।रविवार, 27 अप्रैल 2014
क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया॥शनिवार, 26 अप्रैल 2014
क्योंकि जो समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014
बैर से तो झगड़े उत्पन्न होते हैं, परन्तु प्रेम से सब अपराध ढंप जाते हैं।गुरुवार, 24 अप्रैल 2014
हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।बुधवार, 23 अप्रैल 2014
जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा॥मंगलवार, 22 अप्रैल 2014
क्या तू अपनी दृष्टि उस वस्तु पर लगाएगा, जो है ही नहीं? वह उकाब पक्षी की नाईं पंख लगा कर, नि:सन्देह आकाश की ओर उड़ जाता है।सोमवार, 21 अप्रैल 2014
सो जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?रविवार, 20 अप्रैल 2014
उस ने उन से कहा, चकित मत हो, तुम यीशु नासरी को, जो क्रूस पर चढ़ाया गया था, ढूंढ़ती हो: वह जी उठा है; यहां नहीं है; देखो, यही वह स्थान है, जहां उन्होंने उसे रखा था।शनिवार, 19 अप्रैल 2014
अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर की दोहाई दी। और उसने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी॥शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014
और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि “यह यहूदियों का राजा यीशु है”।गुरुवार, 17 अप्रैल 2014
परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।बुधवार, 16 अप्रैल 2014
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।मंगलवार, 15 अप्रैल 2014
कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।सोमवार, 14 अप्रैल 2014
यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।रविवार, 13 अप्रैल 2014
अब हे भाइयो, मैं तुम से बिनती करता हूं, कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट पड़ने, और ठोकर खाने के कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो; और उन से दूर रहो।शनिवार, 12 अप्रैल 2014
अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014
और अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन उन पर उलाहना दो। क्योंकि उन के गुप्त कामों की चर्चा भी लाज की बात है।गुरुवार, 10 अप्रैल 2014
हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर स न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।बुधवार, 9 अप्रैल 2014
हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है।मंगलवार, 8 अप्रैल 2014
प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।सोमवार, 7 अप्रैल 2014
प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।रविवार, 6 अप्रैल 2014
इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।शनिवार, 5 अप्रैल 2014
अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014
प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।गुरुवार, 3 अप्रैल 2014
और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।बुधवार, 2 अप्रैल 2014
यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।मंगलवार, 1 अप्रैल 2014
मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है।संबंधित विषय
प्यार
प्रेम धीरजवन्त है, और...
आशा
क्योंकि यहोवा की यह...
श्रद्धा
इसलिये मैं तुम से...
परिवार
और ये आज्ञाएं जो...
पूजा करना
हे यहोवा, तू मेरा...
प्रार्थना
सदा आनन्दित रहो। निरन्तर...